नारी शक्ति पुरस्कार से कानपुर की कलावती देवी का सम्मान, 4000 से ज्यादा शौचालयों का किया निर्माण
 












कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाली 58 वर्षीय कलावती देवी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. कानपुर को खुले में शौच से मुक्त बनाने में उनके अहम योगदान की सराहना करते हुए रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें सम्मानित किया. पेशे से मिस्त्री कलावती देवी ने कानपुर में खुद 4 हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया है. कलावती परिवार में इकलौती कमाने वाली सदस्य हैं, पति और दामाद की मृत्यु के बावजूद उनका हौसला नहीं टूटा और कानपुर जिले में खुले मलोत्सर्ग को खत्म करने की मुहिम जारी रखी. कलावती खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए घर-घर जाती हैं.


एक-एक पैसा इकट्ठा कर तैयार किए शौचालय
सीतापुर में जन्मीं कलावती देवी ने महिला दिवस के अवसर पर उन सभी कम पढ़ी लिखी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के लिये अनूठा उदाहरण पेश किया है जो सामाजिक ताने बाने में उलझकर अपना अभीष्ट लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाती हैं. कलावती ने बताया कि जहां पर वो रहती थी वहां हर तरफ गंदगी थी. लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए स्थिति को बदल सकते हैं. लोगों को समझाने का फैसला किया. शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा किया और आखिरकार सफलता हाथ लगी.


राजा का पुरवा इलाके की बदली तस्वीर
कलावती देवी की शादी महज 13 साल की उम्र में हो गई थी. वो अपने पति के साथ कानपुर में राजा का पुरवा में आकर रहने लगीं. कलावती कभी स्कूल भी नहीं गई लेकिन उनके भीतर समाज के लिए कुछ करने की ललक थी. राजा का पुरवा गंदगी के ढेर पर बसा था. करीब 700 आबादी वाले इस पूरे मोहल्ले में एक भी शौचालय नहीं था. जिसके बाद कलावती ने राजा का पुरवा को खुले में शौच से मुक्त करने का बीड़ा उठाया और शौचालय का निर्माण शुरू किया.